यूं ही कोई मिल गया था: कुछ गैरज़रूरी ‘ज़रूरी’ रिश्तों की कहानियाँ (Hindi Edition)
मित्तल, दीप्ति
ज़िदगी एक लंबा सफ़र है। इस सफ़र में कुछ लोग हमेशा हमारा हाथ थाम साथ चलते हैं...साथ नहीं भी हों तो एक तसल्ली रहती है कि हम एक आवाज़ देंगे और वो दौड़े चले आएंगे...जैसे हमारे पेरेंट, भाई-बहन, बच्चें, लाइफ पार्टनर, दोस्त आदि। लेकिन क्या कभी आपके आसपास से कुछ ऐसे लोग आकर गुज़रें हैं जिनका साथ होना,पास होना...बिल्कुल ज़रूरी नहीं था, फिर भी वो आए और इस तरह से गए कि आपके दिलो-दिमाग पर अपने निशां बाकी छोड़ गए! कभी आँखें नम कर गए, कभी होठों पर मुस्कान बिखेर गए... उनका होना आपकी ज़िन्दगी के उस पड़ाव को खूबसूरत बना गया, नये मायने दे गया। गाहे-बगाहे जब आप अपनी जिंदगी के बीते पन्ने पलटते हैं तो उनको खड़ा देख ठिठक पड़ते हैं।ऐसे ही कुछ गैरज़रूरी फिर भी ज़रूरी रिश्तों की दस कहानियाँ लेकर आई है ये किताब – ‘यूं ही कोई मिल गया था’। उम्मीद करती हूँ आपको पसंद आएंगी। इन कहानियों को पढ़ते-पढ़ते हो सकता है ऐसा ही कोई भूला-बिसरा रिश्ता पीछे से आकर आपका धप्पा दे और पूछ ले, याद हूँ ना मैं, या भूल गए!
Կատեգորիաներ:
Տարի:
2021
Հրատարակչություն:
Independently published
Լեզու:
hindi
Էջեր:
77
Ֆայլ:
EPUB, 589 KB
IPFS:
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hindi, 2021